चंद्रशेखर आज़ाद भारतीय आज़ादी आंदोलन के महानायकों में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं| देश की गुलामी और देशवासियों पर अंग्रेजी अत्याचार ने चंद्र्शेखर आज़ाद के अन्तःमन को झकझोरा था| जिंदगी भर अंग्रजों के चंगुल में ना आने की कसम खाने वाले चंद्रशेखर आज़ाद आज ही के दिन इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद हुए थे| अपनी निजी जिंदगी और स्वार्थपरता के कारण हम उन्हें याद करना भले ही भूल जाएँ लेकिन भारतीय परिवेश में उनके स्वर्णिम इतिहास को कभी भुलाया नहीं जा सकता| लेकिन अफ़सोस की देश के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान कर देने वाले ये शहीद आज इसी देश में उपेक्षित हैं|
23 जुलाई 1906 को मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के भावरा गांव में जन्मे चंद्रशेखर आज़ाद एक शुद्ध परम्परावादी ब्राह्मण परिवार से आते थे| 1921 में महात्मा गांधी के द्वारा शुरू किये गए असहयोग आंदोलन में बढचढकर हिस्सा लेने वाले चंद्रशेखर आज़ाद को १५ वर्ष की अवस्था में अंग्रेजों के अत्याचार का शिकार होना पड़ा| हर बेंत पर महात्मा गांधी की जय का नारा लगाने वाले चंद्रशेखर आज़ाद को उस समय गहरी निराशा हुई जब उन्होंने यह आंदोलन वापस ले लिया| हालांकि आज उनकी पुण्यतिथि पर याद करने का यह मतलब नही है कि उनका जन्म कहाँ हुआ था या शिक्षा दीक्षा क्या हुई थी? दरअसल आज समाज जिस हालात में खड़ा में है उससे निकलने का रास्ता तलाशना ज्यादा ज़रुरी है| इस रास्ते को ढूंढने में चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह जैसे लोगों के विचार की प्रासंगिकता बढ़ जाती है|
आज़ादी के बाद देश की दशा और दिशा तय करने में अगर इन लोगों के द्वारा तैयार किये गए ढाँचे पर विचार किया गया होता तो शायद हम आज यह सवाल नहीं उठाते कि आज़ादी के छः दशकों बाद भी हम कहाँ है? गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी से क्यों जूझ रहे हैं? हर चेहरे पर खुशी और हर हाथ को रोजगार का जो सपना इन्होने देखा था वो आज भी अधूरा है|
सबसे आश्चर्यजनक तथ्य तो यह है आज़ादी आंदोलन के इन महानायकों को भुलाने की कोशिश हो रही है| पाठ्यपुस्तकों से इनकी जीवनी को जानबूझकर हटाया जा रहा है| कुछ देशभक्त सिर्फ़ जन्मदिवस और पुण्यतिथि पर कार्यक्रम आयोजन कर लंबे चौड़े भाषण देकर औपचारिकता पूरी कर लेते हैं| इन सबके बीच अगर कुछ छूट रहा है तो वह है आदर्श और विषमता रहित समाज की स्थापना जिसकी कल्पना इन्होने और इनके साथियों ने की थी|
क्या चंद्रशेखर आज़ाद ने सिर्फ़ अंग्रेजों को इस देश से भगाने के लिए अपने को देश सेवा में समर्पित किया था? कदापि नही| अंग्रेजों को भगाना उनका लक्ष्य ज़रुर था लेकिन दिमाग में एक स्वस्थ और सुन्दर भारत की रचना थी| लेकिन आज कितने लोग उनके इस व्यक्तित्व को जानना चाहते हैं? युवाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले चन्द्रशेखर आज़ाद को देश के युवा नहीं जानते हैं| उनके रोल मॉडल शाहरुख और कटरीना जैसे लोग हैं| आज इस स्थिति पर हमें खुद शर्मिंदगी महसूस हो रही है| अफ़सोस लेकिन कड़वा सच है कि देश का शासक वर्ग भी इन महापुरुषों को याद करना नहीं चाहता|
गिरिजेश् कुमार
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