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Friday, July 2, 2010

खून की कीमत ?

एक बार फिर सी आर पी एफ के ज़वान शहीद हुए| 3 महीने के अंतराल पर 150 जवान बिना किसी कुसूर के मारे गए|क्या नक्सली बताएँगे की निर्दोषों की हत्या कर ,बेगुनाहों का खून कर वे किस क्रांति को अंजाम देना चाहते हैं ? क्या समाज में असमानता निर्दोषों की हत्या कर समाप्त की जा सकती है ?आखिर किस समाजवादी व्यवस्था को लाना चाहते हैं ये लोग ? जिस मार्क्स और लेनिन को ये अपना आदर्श मानते हैं उन्होंने क्या कभी कहा की बेगुनाहों की हत्या करो ? आखिर नक्सली ये क्यों भूल जाते हैं की जिन जवानों को वो मार रहे हैं वह किसी किसान का बेटा है ,किसी मजदूर का बेटा है ,जो अपने और अपने परिवार के पेट के खातिर बन्दुक उठा कर देश के लिए लड़ रहा है |उन जवानों का क्या कसूर ?

यह तो मैं भी मानता हूँ की इस देश में असमानताएं हैं ,लाचारी है ,आमिर और गरीब के बिच खाई है लेकिन इस रास्ते से तो हम ये खाई और बढ़ा रहे हैं | भगत सिंह ,चंद्रशेखर आज़ाद ,महात्मा गाँधी ,नेल्सन मंडेला जैसे लोगों ने भी सबको समानता देने की बात कही थी |इनका भी सपना था भारत एक संप्रभु समाजवादी गणराज्य बने | लेकिन नक्सलियों के करतूतों से तो लोग समाजवाद के नाम से नफरत करने लगे हैं | सवाल पूंजीवाद –समाजवाद का भी नहीं है ,अब सवाल ये है की आखिर नक्सलियों का शिकार ये जवान कबतक होते रहेंगे ?

एक बात सरकार को साफ़ –साफ़ समझ लेना चाहिए की नक्सलियों से हथियारों के बल पर नहीं निबटा जा सकता |यह बात नक्सली बार बार साबित भी करते रहे हैं |इसलिए ज़रूरत इस बात की है उन कारखानों को बंद किया जाये जहाँ से ऐसे गंदे विचार पैदा होते हैं और उन बाज़ारों को भी बंद किया जाये जहाँ इसका व्यापार किया जाता है | गरीबी ,भुखमरी ,असमानता ,बेरोज़गारी ,भ्रषटाचार ,अशिक्षा वो चीजें हैं जो नक्सलियों को फलने फूलने का अवसर देते हैं | नक्सलियों को भी एक बात समझ लेनी चाहिए हतियारों के बल पर जुटाया गया समर्थन उस पेड़ की तरह होता है जो रेत के ढेर पर खड़ा हो और वह, हवा का एक झोंका भी नहीं सह सकता |इसलिए अगर वास्तव में व्यवस्था परिवर्तन चाहते हैं तो सबसे पहले विचारशील मनुष्यों के फ़ौज के ताकत की वो दीवार खड़ी करनी होगी जिसे कोई भी तानाशाही हुकूमत न गिरा सके, फिर समस्याएं तो अपने आप खत्म हो जायेगी |और यह हथियारों के बल पर तो कभी भी नहीं हो सकता, निर्दोषों का क़त्ल करके तो नहीं हो सकता | इसके लिए दृढ़संकल्पित युवाओं को आगे आना होगा जो किसी भी परिस्थिति से जूझने का माद्दा रखते हों | वरना पता नहीं हम कितने निर्दोषों की बलि चढाएंगे ?

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