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Thursday, July 22, 2010

लोकतंत्र की मर्यादा आहत

दो दिनों से विधानसभा में जो कुछ भी रहा है उससे न सिर्फ लोकतंत्र कि मर्यादा आहत हुई है बल्कि लोगों का विश्वास भी नेताओं से उठ चुका है |लोकतंत्र में विपक्ष को विरोध करने का अधिकार है,जनता के हित से जुड़े सवालों को पूछने का हक है लेकिन क्या इसके लिए लोकतंत्र की मर्यादाओं का खून किया जा सकता है? एक दिन के बैठक में लाखों रूपये खर्च होते हैं,ये पैसा उस जनता के खून पसीने की कमाई है जो इन्हें अपना नेता मानते हैं लेकिन उन्ही की हक के खातिर जब नेताओं के आवाज़ उठाने की बारी आती है तो संसद हो या विधानसभा,ये नंगा नाच करते हुए दिखाई देते है| सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर कब तक यूँ ही जनता को बरगला कर उसकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते रहेंगे?
बिहार विधानसभा में जो कुछ हुआ उससे सिर्फ बिहार ही नहीं पूरा देश शर्मसार है| जिन लोगों पर राज्य को चलाने की जिम्मेदारी है वही गैरजिम्मेदाराना हरकत करते हैं| हम शर्म आती है इनके करतूतों पर| इसकी ज़िम्मेदारी ज़रूर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की है| इस घटना ने बिहार के बदले हुए चेहरे पर काली चादर डाल दी है जिसके जिम्मेदार खुद्द वहीँ हैं जिनके ऊपर इस छवि को बदलने की जिम्मेदारी थी| खुद को जनता का रहनुमा बताने वाली ये पार्टियां हद की हर उस सीमा को पार कर चुकी हैं जिसके अंदर रहना इनका कर्तव्य था| आज जब चुनाव सर पर है तो सारी पार्टियां अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए सारे हथकंडे अपनाना चाहती हैं ताकि आने वाले चुनाव में कुर्सियों पर अपना अधिकार जमा सके|
कुर्सी की लालच इन नेताओं को इतना अंधा कर चुकी है कि इन्हें संविधान का भी क़द्र नहीं है| सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों सरकार का हिस्सा हैं |लेकिन जहाँ ज़रूरत थी जनता के समस्याओं पर विचार करके उनका हल निकालने की वहीँ ये आपस में ही लड़ रहे हैं| आम जनता से जुड़े सवालों से इनका कोई लेना देना नहीं है,पूरी तरह भ्रष्ट हो चुके इस व्यवस्था का ताज़ा उदहारण बिहार विधानसभा हंगामा है| नेताओं कुछ तो शर्म करो! जनता भूख,लाचारी ,गरीबी मंहगाई से त्रस्त है और नेता स्वार्थ की राजनीति कर रहे हैं|यह इसी देश में हो सकता है| यह कैसी विडंबना है कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाने वाला देश भारत में ही लोकतंत्र शर्मसार होता है| अब समय आ गया है,आम जनता को खुद अपनी ज़िम्मेदारी लेने की क्योंकि जिन नेताओं पर वो भरोसा कर रहे हैं उन्हें इनकी कोई चिंता नहीं है|लेकिन क्या ऐसा होगा इसपर गंभीरता से विचार करने की ज़रूरत है|

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