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Saturday, August 7, 2010

कश्मीर में नफरत की आग

एक बार फिर कश्मीर हिंसा की आग में जल रहा है| कर्फ्यू, सेना, हिंसा, ... ये कश्मीर का नया नामकरण है| कश्मीर की हंसी वादियों में आजकल नफरत के रंग घुले हुए हैं| हम समझ नहीं पा रहे कि सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद आखिर वहाँ हिंसा क्यों नहीं रुक रही है? लोग अपने ही लोगों के दुश्मन बने हुए हैं|

अमन चैन की ख्वाहिश हर इंसान की होती है और यही वो चीज़ है जो इंसान को जानवरों से अलग करती है लेकिन इंसान अगर जानवरों की तरह व्यवहार करने लगे तो शायद हमें इंसान की नई परिभाषा गढनी पड़ेगी |आखिर कब तक यूँ ही हम आंसू बहाते रहेंगे ?

ऐसा नहीं है कि कश्मीर के लोग शान्ति नहीं चाहते| लेकिन कुछ असामाजिक प्रवृत्ति के लोग वहाँ अराजकता फैला रहे हैं| हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं |जिसका कतई समर्थन नहीं किया जा सकता| भारत बंटवारे से लेकर आजतक कश्मीर हमेशा से विवाद का विषय रहा है| हर बार कश्मीर की अमनपसंद जनता इसका खामियाजा भुगतती है| कभी आतंकवादी और कभी उग्रवादी,पता नहीं क्यों इस सुन्दर शहर को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं? हमें खुद के अंदर इस सवाल का ज़वाब तलाशना होगा| किसी भी लोकतांत्रिक देश में हिंसा जैसी जघन्य अपराध को स्वीकार नहीं किया जा सकता| इसलिए ज़रूरत इस बात की है हम कारणों की तलाश कर यथाशीघ्र इसका हल निकालें और ऐसे सारे लोग जों कश्मीर में अशांति फैला रहे हैं उन्हें क़ानून कठघरे में लाया जाये| अन्यथा पृथ्वी का स्वर्ग कहा जाने वाला यह प्रदेश नर्क में तब्दील हो जायेगा|

3 comments:

  1. tumhari tippani padhi. bahut satik hai.ham 9414028938 par baat kar sakte hain.

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  2. aapne bilkul sateek baat kahi .ham log bachpan se yahi padhte aaye hain ki dharti par swarg kahin hai to yahin hai, yahin hai,yahin hainyaani kashmeer . aajswarg kahi jane wali dharti par kuchh asamaajik taton ke karan uski rangat hi badal gai hai.aapka aalekh un gujar rahi paristhitiyo ki yaad dila raha hai.
    poonam

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