मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार ने कोसी बाढ़ पीडितों के लिए दिया पैसा लौटाकर आपदा पीड़ित लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है | श्री नीतीश कुमार को यह समझना चाहिए था कि जो पैसा गुजरात से आया था वह वहाँ कि जनता का पैसा था न कि गुजरात सरकार का | उन्होंने ऐसा करके गुजरात की जनता के साथ भी मजाक किया है जिन्होंने अपना पेट काटकर बिहारियों की मदद की थी |
यह सच है कि बिहार की बिगड़ी हुई स्थिति को ठीककर पटरी पर लाने का प्रयास नीतीश कुमार ने किया है | लेकिन इस सफलता से वह इतने घमंडी हो जायेंगे यह किसी ने नहीं सोचा था | अगर वह पैसा बाढ़ पीडितों के लिए आया था तो नीतीश कुमार यह बताएं कि इतने दिनों से वह पैसा खर्च क्यों नहीं हुआ था ? एक तरफ केंद्र पर बार –बार नीतीश कुमार पीडितों कि मदद के लिए उचित सहायता राशि न दिए जाने कि बात करते हैं वही दूसरी तरफ वो मदद को वापस लौटा रहें हैं वह भी ओछी राजनीति का शिकार होकर ,जिसका कोई तुक ही नहीं बनता | सिर्फ एक पोस्टर विवाद को लेकर | माननीय मुख्यमंत्री ये भूल गए विपत्ति के समय इंसान ही इंसान की मदद के लिए खड़ा होता है ,इसी का उदहारण तो दिया था गुजरात कि जनता ने, फिर इसमें राजनीति क्यों हो रही है ?
नीतीश कुमार यह समझ लेना चाहिए कि जनता सब समझती है | उनको इस पद पर इसलिए बैठाया गया था ताकि वह उनकी समस्याओं कि गहरी खाई को पाट सकें | इसलिए नहीं कि वो घमंड में इतने चूर हो जाएँ कि सही और गलत में अंतर ही न समझ में आये |
इस बात को हम मानते हैं उनकी तस्वीर छापने के पहले उनकी अनुमति लेनी चाहिए थी लेकिन नीतीश कुमार ने जो किया अपने दिल पर हाथ रखकर वो बताएं कि क्या यह सही है ? राजनीति अपनी जगह है ,वैचारिक मतभेद अपनी जगह है , इसमें आम भोली भाली जनता कि भावनाओं के साथ मजाक नहीं होना चाहिए | श्री नीतीश कुमार से मैं पूछना चाहता हूँ कि आखिर समाज की किस चुप्पी को तोडना चाहते हैं आप ? यह समाज हर सही गलत का फैसला कर सकता है |आप अच्छा कर रहे हैं इसका मतलब यह नहीं कि आपके हर सही गलत फैसले को लोग आँख मूंदकर मान लेंगे |
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