भारत में 2036 तक बुजुर्गों की संख्या दोगुनी
नेशनल कमीशन ऑन पॉपुलेशन की रिपोर्ट के मुताबिक देश में 2036 तक बुजुर्गों की संख्या दोगुनी हो जाएगी। मध्यम आयु-समूह (15-59 वर्ष) और बुजुर्गों (60 वर्ष और अधिक) के अनुपात में काफी वृद्धि होगी। जनसंख्या में वृद्ध व्यक्तियों की संख्या 2036 तक 23 करोड़ होने का अनुमान है। 2011 में देश में 10 करोड़ बुजुर्ग थे। कुल जनसंख्या में बुजुर्गों की संख्या में 6.5 फीसदी की वृद्धि होगी। 14.9 प्रतिशत बुजुर्ग होंगे।
युवाओं की संख्या में वृद्धि का दौर खत्म
भारत में युवाओं की संख्या में वृद्धि का दौर खत्म हो चुका है। 15-24 वर्ष की आयु वर्ग में युवा जनसंख्या 2011 में 23.3 करोड़ से बढ़कर 2021 में 25.1 करोड़ होने का अनुमान था। 2036 तक यह इसके घटकर 22.9 करोड़ पर आने का अनुमान है। जनसंख्या में इस आयु वर्ग की हिस्सेदारी 15.1 फीसदी रह जाएगी, 2011 में यह 19.3 फीसदी थी। यानी 2011 में भारत में आधी आबादी(50.2 प्रतिशत) 24 साल या उससे कम की थी। 2036 में यह 35.3 फीसदी रह जाएगी। 2036 में भारतीयों की औसत आयु 34.5 वर्ष होने की उम्मीद है।
2018 में पहली बार बुजुर्गों की आबादी बच्चों से ज्यादा हुई थी
दुनिया भर में 2018 में पहली बार 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तियों की संख्या पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों से अधिक हुई थी। 2022 में, दुनियाभर में बुजुर्गों की संख्या 77.1 करोड़ है, जो 1980 से तीन गुना ज्यादा है। तब बुजुर्गों की आबादी 25.8 करोड़ थी। 2030 तक बुजुर्गों की आबादी 99.4 करोड़ और 2050 तक 1.6 अरब तक पहुंचने का अनुमान है। 2050 तक वैश्विक स्तर पर 65 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों की संख्या 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की संख्या से दोगुनी से अधिक होगी, जबकि 65 वर्ष की आयु के व्यक्तियों की संख्या या वैश्विक स्तर पर लगभग 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की संख्या के बराबर होगी।
2050 तक दुनिया की 50% आबादी 8 देशों में होगी
यूएन की रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक दुनिया की आबादी का आधा से ज्यादा हिस्सा केवल आठ देशों में होगा। इनमें भारत, पाकिस्तान, फिलीपींस, मिस्र, कांगो, नाइजीरिया, तंजानिया और इथियोपिया शामिल हैं। इसके अलावा 61 ऐसे देशों का अनुमान भी लगाया है जिनकी आबादी 2022 से 2050 के बीच घट जाएगी। इनमें सबसे ज्यादा देश यूरोप के होंगे। फिलहाल 46 देशों की आबादी सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ रही है, जिनमें से 32 देश सब सहारा अफ्रीका के हैं।
8 अरब सपने, 8 अरब उम्मीदें
दुनिया भर में पिछले 12 वर्षों में एक अरब लोगों नए लोग जुड़े हैं। भारत अगले साल चीन को दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में पछाड़ने के कगार पर है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि वैश्विक आंकड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य में बड़े सुधार का संकेत देता है। मृत्यु का जोखिम कम हुआ है जीवन प्रत्याशा में वृद्धि हुई है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष ने कहा कि आठ अरब उम्मीदें। आठ अरब सपने। आठ अरब संभावनाएं। हमारा ग्रह अब आठ अरब लोगों का घर है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि अगर दुनिया अमीरों और वंचितों के बीच की खाई को खत्म नहीं करेगी तो आठ अरब की यह आबादी, तनाव और अविश्वास, संकट और संघर्ष से भरी रहेगी। मानव आबादी लगभग 1800 तक एक अरब से कम थी, और एक से दो अरब तक बढ़ने में 100 से अधिक वर्षों का समय लगा।
ये चुनौतियां भी
आबादी 8 अरब पर भले ही पहुंच गई है लेकिन दुनिया आज वैसी नहीं है जैसी कभी रही है। कई मायनों में लोग अभी भी पुरानी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। हालांकि की उपलब्धियां भी हासिल हुई हैं। विश्व स्तर पर गरीबी दर में गिरावट आई है और विज्ञान ने कई लोगों की जान बचाई है। असमान आय, वैश्विक आबादी के सबसे गरीब आधे हिस्से को आय के दसवें हिस्से से भी कम वेतन मिलता है। जलवायु संकट सबसे बड़ा खतरा है। प्रजनन क्षमता में गिरावट का मतलब है कि दुनिया तेजी से बूढ़ी हो रही है, जिसके परिणाम कुछ विकसित अर्थव्यवस्थाओं में पहले से ही दिखाई दे रहे हैं। महिलाओं ने प्रगति की है लेकिन बेहतर अंतर्संबंध और आर्थिक भागीदारी के फल को भोगने में पीछे रह गई हैं।
कैसे बढ़ी दुनिया की आबादी, 48 साल में ही हुई दोगुनी
1804 1 अरब
1927 2 अरब
1960 3 अरब
1974 4 अरब
1985 5 अरब
1999 6 अरब
2011 7 अरब
2022 8 अरब
किस देश में कितने लोग (प्रत्येक 100 लोगों में)
चीन 18
भारत 18
यूएस 4
पाकिस्तान 3
नाइजीरिया 3
इंडोनेशिया 3
ब्राजील 3
बांग्लादेश 2
अन्य 46
लोगों की औसत उम्र
1950 22.2 साल
2020 29.7 साल
2100 42.3 साल
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