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Thursday, November 17, 2022

दुनियाभर में 1 अरब युवाओं पर क्यों है बहरे होने का खतरा?

नई दिल्ली। हेडफोन, ईयरफोन तथा ईयरबड पर तेज आवाज में संगीत सुनने के कारण किशोरों व युवाओं पर बहरेपन का खतरा मंडरा रहा है। बीएमजे ग्लोबल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में दुनियाभर में 1 अरब से अधिक किशोरों व युवाओं के सुनने की क्षमता खो देने के खतरे का अंदेशा जताया गया है।

शोधकर्ताओं की इस अंतरराष्ट्रीय टीम का अनुमान है कि 12 से 34 वर्ष के 24% युवा अपने डिवाइस पर आवाज के 'असुरक्षित स्तर' पर संगीत सुन रहे हैं। यानी वे तेज आवाज में गाने सुन रहे हैं। जो उनके कानों के लिए ठीक नहीं है। शोधकर्ताओं ने सरकारों से सुनने की सुरक्षित नीतियों को तत्काल लागू करने का आह्वान भी किया है। 

 43 करोड़ लोग सुनने की अक्षमता से पीड़ित
विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि वर्तमान में दुनिया भर में सभी उम्र के 43 करोड़ से अधिक लोग सुनने की अक्षमता से पीड़ित हैं। स्मार्टफोन, हेडफोन और ईयरबड्स जैसे व्यक्तिगत सुनने वाले उपकरणों  के उपयोग के कारण युवा विशेष रूप से प्रभावित हो रहे हैं। साथ ही तेज आवाज में संगीत बजानेवाले जगहों पर जाने से भी उनके कानों पर असर पड़ रहा है।  

तेज आवाज में एक बार भी सुनना खतरनाक
शोधकर्ताओं के अनुसार तेज आवाज में एक बार गाने सुनना भी खतरनाक है। बार-बार सुनने से कान के सुनने की प्रणाली खत्म हो सकती है। वॉल्यूम तेज होने से कानों का होनेवाला नुकसान आगे जीवन में और मुश्किल खड़ी कर सकता है। कम उम्र के लोगों में अगर यह होता है तो इससे आगे चलकर उन्हें ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। 

21 सालों के अध्ययन का अध्ययन
शोधकर्ताओं ने पिछले 21 सालों के अध्ययन का अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला है। अमेरिका में साउथ कैरोलिना विश्वविद्यालय के शिक्षाविदों के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने वर्ष 2000 और 2021 के बीच व्यक्तिगत सुनने वाले उपकरणों और तेज संगीत वाले स्थानों पर हुए पिछले अध्ययनों की जांच की है। इस विश्लेषण में 19,000 से अधिक लोगों पर किए गए 33 अध्ययनों को शामिल किया गया था।

तेज आवाज में गाने सुननेवालों में 27 फीसदी नाबालिग
शोधकर्ताओं ने कहा कि स्मार्टफोन, ईयरफोन, ईयरबड्स इत्यादि पर तेज आवाज में गाने सुननेवालों में 27 फीसदी नाबालिग हैं। 23 फीसदी संख्या वयस्कों की है। यह भी अनुमान लगाया गया है कि दुनिया भर में 12 से 34 वर्ष की आयु के 48% लोग क्लब या बार जैसे तेज आवाज वाले संगीत स्थलों में जाते हैं। इन आंकड़ों के आधार पर शोधकर्ताओं का अनुमान है कि किशोरों और युवा वयस्कों की वैश्विक संख्या जिनके सुनने की क्षमता खो देने का खतरा है, वह 0.67 अरब से 1.35 अरब तक हो सकती है।

भारत सहित दो दर्जन देशों की स्टडी शामिल
इस निष्कर्ष में भारत सहित करीब दो दर्जन देशों की स्टडी को शामिल किया गया है। इसमें उच्च, मध्यम व निम्न आय वाले तीनों तरह के देश शामिल हैं। यूएसए, यूके, स्वीटजरलैंड, नीदरलैंड्स, कनाडा, मेक्सिको इत्यादि देशों को अध्ययन में शामिल किया गया है। 

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