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Sunday, November 13, 2022

पांच साल बाद दुनिया को मिलेगी सबसे घातक हाईपरसोनिक मिसाइल

नई दिल्ली। पांच साल बाद, 2027 में दुनिया को सबसे घातक हाईपरसोनिक मिसाइल मिलेगी। नई हाईपरसोनिक अटैक क्रूज मिसाइल(एचएसीएम) वर्तमान मिसाइल से 20 गुना तेजी से उड़ान भरेगी। इस मिसाइल से दुश्मनों को बचने का मौका नहीं मिलेगा। यह अपनी तरह का पहला मिसाइल होगा जो एयर-ब्रीदिंग स्क्रैमजेट इंजन का इस्तेमाल करेगा। अमेरिका और आस्ट्रेलिया के लिए यह मिसाइल निर्माण किया जा रहा है। 


अमेरिकी कंपनी कर रही निर्माण 

मिसाइल का निर्माण अमेरिकी कंपनी रेथियॉन और नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन करेगी। कंपनी 98.5 करोड़ डॉलर से हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल विकसित करेगी। संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के लिए विकसित किया जानेवाले यह मिसाइल जमीन पर हमले के लिए डिज़ाइन किया गया है। अनुबंध की शर्तों के तहत, अमेरिका को 2027 में पहली मिसाइल मिलेगी।  2020 में, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने संयुक्त रूप से साउदर्न क्रॉस इंटीग्रेटेड फ़्लाइट रिसर्च एक्सपेरिमेंट पार्टनरशिप(एससीआईफायर) की शुरुआत की। ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय ध्वज पर दिखाई देने वाले नक्षत्र के नाम पर एससीआईफायर का उद्देश्य एक एयर-ब्रीदिंग हाइपरसोनिक हथियार प्रणाली विकसित करना था।  

 क्या है पारंपरिक क्रूज मिसाइल
पारंपरिक क्रूज मिसाइल मूल रूप से पायलट रहित विमान हैं। टर्बोफैन इंजन क्रूज मिसाइलों को शक्ति प्रदान करते हैं। राडार से बचने के लिए क्रूज मिसाइलें कम उंचाई पर उड़ती हैं। टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें 550 मील प्रति घंटे की गति से 98 से 164 फीट की ऊंचाई पर उड़ती हैं।

हाईपरसोनिक मिसाइल
एचएसीएम एक हाइपरसोनिक हथियार है, जिसका अर्थ है कि ध्वनि की गति से 5 गुना तेज गति गति से उड़ान भरता है। अधिकांश मिसाइलें लगभग मच 3(ध्वनि की गति से 3 गुना अधिक) तेजी से उड़ान भरती हैं।  टर्बोफैन इंजन की तरह, स्क्रैमजेट ईंधन के के लिए आसपास के वातावरण से ऑक्सीजन लेते हैं। नासा के अनुसार, स्क्रैमजेट इंजनों को कम से कम 15 मच तक काम करना चाहिए। यह प्रति घंटे 11,509 मील की दूरी तय करता है, या लगभग दो घंटे में पृथ्वी का चक्कर लगा सकता है। 

अमेरिकी रक्षा कंपनी रेथियॉन भारत में रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र में काम कर रही
भारत के एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र के लिए रेथियॉन टेक्नोलॉजी काम कर रही है। 1940 के दशक से ही कंपनी काम कर रही है। कंपनी मेक इन इंडिया के तहत नेट जीरो एमिशन की दिशा में देश की मदद करने के लिए स्थानीय स्तर पर उत्पादों को विकसित करने के लिए भारत में स्थित फर्मों के साथ साझेदारी कर रही है। यहां 5 हजार से ज्यादा कर्मचारी आधुनिक हथियार बनाने में लगे हैं।

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